Wednesday, 9 September 2015

डायरी त ली शायरी ......७


*......बदलेमें अगर तुमने दिया है गम ही
    कबूल है खता हमारी होगी...

    तुमने अगर देखके अनदेखा किया
    शायद रोशनीही तब बहुत कम होगी  I

 
*......माँगने आए थे हम
    साथ में ली थी बड़ी सी झोली...

    मोह, माया, अहंकार गया
    जब तुमने ये बंद आँखे खोली   I

 
*......रेत पे लकीरें खींच रहा
    मत समझ उसे कुछ काम नहीं...

    तकदीर की लक़ीरोंसे लड़ रहा है
    शांती के समंदर में भी उसे आराम नहीं  I

...भावना