*……..शिकवा था तुजसे जब... किसी भी मोडपे कोइभी न मिला
दुसरोन्ने नक्षेकदम ढुंडे...अब तेरे दरपे वक्त से पहेले न लाउ मै गिला
दुसरोन्ने नक्षेकदम ढुंडे...अब तेरे दरपे वक्त से पहेले न लाउ मै गिला
*……..बारिश मे न बाहर निकला, ठंड मे ओढी चादर, गर्मी मे पसिने पोछे
खामी खोजनेवालोंके लिये तुने भी कितने तरिके सोचे
खामी खोजनेवालोंके लिये तुने भी कितने तरिके सोचे
*…….जहा जाउ मै पाउ तेरे होने के निशान
फिरभी क्यो ढुंडता फिरता दरदर मै होकर परेशान
...भावनाफिरभी क्यो ढुंडता फिरता दरदर मै होकर परेशान