*…….उम्र नाराज हुइ हमसे
जब हम गिनती उसे सिखाने निकले
'रुक यही और खेल मेरे साथ'... बोली
'वो जो निकले वो गम खोजने सयाने निकले '
जब हम गिनती उसे सिखाने निकले
'रुक यही और खेल मेरे साथ'... बोली
'वो जो निकले वो गम खोजने सयाने निकले '
*……मतलब से मतलब रखनेकि लत तग गयी है जिन्हे
तेरे हाथो पर रुकी तितली लुभाएगी न उन्हे
तेरे ऑसू तेरे अकेलेपन और उनकी नासमझी पर जो बहे
मत भूल यहा कोइ अकेला नही
उनके साथ नासमझी सही पर तेरे साथ सदा तितली रहे
तेरे हाथो पर रुकी तितली लुभाएगी न उन्हे
तेरे ऑसू तेरे अकेलेपन और उनकी नासमझी पर जो बहे
मत भूल यहा कोइ अकेला नही
उनके साथ नासमझी सही पर तेरे साथ सदा तितली रहे
...भावना