Monday, 16 May 2016

सूखा ही मेरे भाग मे, सूखा ये मेरा भाग है

कबतक मै देखता रहु
यु हाथपर हाथो धरे
खाली थे बर्तन और घडे
आखोने पानी से भरे
परछाइ मेरी चचेरी, असहायता पर सगी का नाम है

सूखा पडा है फैलकर
चारो तरफ कब्जा किये
जानेहि कितने आजतक
जीवन बीना पानी जिये
जीवन तो पानी से सदा, शुरुआत ही यहा अंत:काल है

भूख मेरे भाग की
बाटने मै क्यो गया
इस नन्हे से भी पेट के
हिस्से बुजुर्गपन क्यो दिया
जितने भी मेरे साथ थे, उतने ही  मेरे साथ है

तुमको दयालु मै कहु
इतना दयालु मै नही
तुमने तो मेरी आजतक
ना सुनी जो भी कही
शायद ये मेरी आवाज ही , ना सुनने का अभिशाप है

एक छोटा घर मेरा
मैे बडा कब कह गया
दो गज जमी की मांग कि
आसमा पत्थर बन गया
आज मेरी कब्र भी, इससे जियादा आराम है
सूखा ही मेरे भाग मे, सूखा ये मेरा भाग है
...भावना