Monday, 17 August 2015

डायरी त ली शायरी ......६


*......उपरवालेने भेजा है जो, हाथ मे कलम थामे
    हम बस लिखते गये, और स्याही की कमी न थी

    आसू की तो बोतले मिली भर भर के
    बस तेरे थोडेसे हंसी की जरुरत थी

 
*......गालिब ने अगर देखा उपरसे,
      'ये हाथ किसके हे ?' पूछे गा, परेशान होकर

    गुलजार को अगर ये राज मालुम हुआ
    कही लिखनाहि ना छोडदे, अपना ध्यान खोकर

 
*......तमन्ना अगर अरसोंसे दबी हे दिल मे
    गुजारिश कर उसे, के तेरी तुजसे मुलकात होगी

    चिंगारी जो तुजमे बची हे अबतक
    लौ दिये की बचा, तुफानी बरसात होगी


...भावना