Monday, 16 March 2015

डायरी त ली शायरी ...... ५


* चोट कभी दिलपे खाई होती तो समझते
    के चोट देनेवालाही मरहम था I

    हम तो अभी बस चोट संभाले हुए है
   के उसका दिया हर एक निशान मोहब्बते रहम था I

 

* किसीने हमे  सिर्फ एक पन्ना समझकर मोड़ दिया I
    लेकिन  हमने तो उसी मुड़े हुए पन्नेकी नाव बना डाली I

 

*जिंदगी के गिले  शिकवे तुम्हे क्या बताऊ ए मेरे दोस्त
   तुमने अभी जिंदगी देखि ही कहा है I

   हम तो बहुत आगे निकल चुके है सबके
   बस एक रस्सी, एक नाव रखी हुई वहा है   I  

...भावना