* चोट कभी दिलपे
खाई होती तो समझते
के चोट देनेवालाही मरहम था I
हम तो अभी बस चोट संभाले हुए है
के उसका दिया हर एक निशान मोहब्बते रहम था I
* किसीने हमे सिर्फ एक पन्ना
समझकर मोड़ दिया I
लेकिन हमने तो उसी मुड़े हुए पन्नेकी नाव बना डाली I
*जिंदगी के गिले शिकवे तुम्हे
क्या बताऊ ए मेरे दोस्त
तुमने अभी जिंदगी देखि ही कहा है I
हम तो बहुत आगे निकल चुके है सबके
बस एक रस्सी, एक नाव रखी हुई वहा है I
...भावना