Friday, 6 March 2015

डायरी त ली शायरी ...... ४


* ऊपर घिरे है बादल
 पाँव तले अंगार है I

 हम चले है सामने
 मक़ाम तो आसान है I 

 
* अरमानोको उम्र नहीं
 अलफाजोको भी नहीं है I

 हम तो अलफ़ाजोंके अरमान रखते है
 जिंदगी क्यों डर रही है ?

...भावना