*......तू कहा है?....मैने उनसे
पूछा तेरा पता
उन्हें तो एहसास
भी न था,
ना महसूस हुई
तेरी कमी कभी...
फिरभी जमाए बैठे
है कब्ज़ा तेरे
नामपर, तेरे जज़्बातोंपर
ए इन्सानियत,
फ़रियाद कर तेरे
इस घुटन की
अभी I
*......आजकल मेरे खिड़की
से जो देखू तो, नज़र आता है तेरा छोटापन
ए आसमां, तूने भी समज़लिया के तेरा बड़प्पन तो
कोई काम का न था…
के किसी शेर, किसी कविता में अभी,
तू सिर्फ एक लब्ज, कहानी बनाने का एक सामान था
I
...भावना