Wednesday, 25 February 2015

डायरी त ली शायरी ...... ३


* दूर उस टिले की तरफ देखू तो सोचू,
  के तू खेलता था वहा, आएगा अभी, बड़ी देर रुकी I


  बूढी आँखे ही शायद उस टिले की जगह ठीक से याद रख न सकी II

 

* कागज़ के टुकड़ों ने जो मेरे दिलकी दास्ताँ सुनी,
  दर्द की स्याही में वो भी डूब गए I

 
  तुमने तो पलट के भी न देखा,
  उसे रौंदकर तेरे पैर भी क्या खूब गए II

 


* काम के बोज से थका हुआ मन ये सोचे के,
  कब उसे आराम मिले I

 
  बैठे हे मगर कई ऐसे और,
  सोचके, के कभी तो उन्हें काम मिले II

...भावना