* दूर उस टिले की
तरफ देखू तो सोचू,
के तू खेलता था वहा, आएगा अभी, बड़ी देर रुकी I
बूढी आँखे ही शायद उस टिले की जगह ठीक से याद
रख न सकी II
* कागज़ के टुकड़ों
ने जो मेरे दिलकी दास्ताँ सुनी,
दर्द की स्याही में वो भी डूब गए I
तुमने तो पलट के भी न देखा,
उसे रौंदकर तेरे पैर भी क्या खूब गए II
* काम के बोज से
थका हुआ मन ये सोचे के,
कब उसे आराम मिले I
बैठे हे मगर कई ऐसे और,
सोचके, के कभी तो उन्हें काम मिले II
...भावना